मुंबई की सड़कों पर थी भीड़ भारी,
उसी में दौडभाग कर रहे थे जरदारी .
एक ओर,
मुशरफ़ जख्मों पर छिड़क रहे थे नमक-पानी ,
तो दूसरी ओर बम लगा रहे थे गिलानी .
हमने कहा,"आश्चर्य है,अब तो पूरी टीम आ गयी "
" भारत-पाक एकता की बधाई हो बधाई."
उन्होंने गुस्से में कहा,"भाड़ में जाये ऐसी एकता,
सकते में है पुरा पाकिस्तान और पूरी जनता".
"इंडिया में खुल गया है भ्रष्टाचार का पिटारा
और गर्दिश में आ गया है अब हमारा सितारा ".
और कहा," अबतक भ्रष्टाचार का ताज था हमारे पास
मगर मनमोहन की सरकार पहुँच ही गयी हमारे आसपास."
"लेकिन अपना ताज बचाने,
हम मारेंगे या मरेंगे
आवाज़ से तो ये कुम्भकर्ण जागने से रहा ,
इसीलिए बमों के धमाके करेंगे "
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और साथ में ललकारेंगे की ," अब तो उठ बावले,
जिंदगी में कभी तो कुछ कर ले,
यदि तेरे देसी हथियार बेकार हो तो ,
हमारे made in america ही उठाले ".
" अरे पृथ्वीराज चौहान की औलाद,
अब तो जाग जा,
क्या हमें गजनी का महमूद बनाएगा ?
अपनी अस्मत बचा न पाया ,
क्या भारतमाता को भी लुटायेगा? "
उनकी बात सुनकर बन्ध गयी मेरी घिग्गी ,
फिर भी बेशर्मी से करी हमने रीढ़ सीधी
अंत में हमने कहा,
"मुशरफ़ जी आप भी क्यों हो मैदान में ?
आपको बड़ा यकीन है इंडिया से अभयदान में ?"
उन्होंने हँसते हुए कहा,
"भई, हमने तो कर लिया है पूरा हिसाब
यहाँ तो सबसे सुरक्षित है सिर्फ "कसाब"
और तो और हमको, please भेजना जेल तिहाड़
ताकि,कनिमोज़ी से लड़ायेंगे नैन और राजा संग करेंगे जुगाड़ !
opg ( १९.०७.२०११)
(पिताजी के ६५ वे जन्मदिन पर )
प्रगतिवादी विधा में बहुत सटीक और अच्छा राजनैतिक व्यंग्य १
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