Sunday, August 11, 2013

एक दफ़ा,


एक दफ़ा,
     मेरा भी ख्वाब टूटा था,
जब मैं खुद से  रुठा था,
जब दिल,जुबां से झूठा था,
हाँ!मेरा भी ख्वाब टूटा था.

एक दफ़ा,
         मेरा भी चैन खोया था,
जब मैं घोडे बेचकर सोया था,
  जब बहाने बनाकर रोया था,
हाँ! मेरा भी चैन खोया था.

एक दफ़ा,
       मेरी भी आँखें गीली थी,
जब कोशिशें मेरी ढीली थी,
जब डोर भाग्य से चली थी,
हाँ! मेरी भी आँखें गीली थी.

एक दफ़ा,
        मेरा भी एक नाम था,
जब बोलता मेरा काम था,
जब दिल में मेरे 'राम' था,
हाँ! मेरा भी एक नाम था.
         
            पुष्पेय 'ओमप्रकाश गोंदुड़े'