आँख
देखने के काम आती हैं,
आँख दिखाने के काम
आती हैं।
आँख
लड़ने के काम आती हैं,
आँख लड़ाने के काम आती
हैं।
आँख
भीड़ने के काम आती हैं,
आँख भीड़ाने के काम
आती हैं।
आँख
रोने के काम आती हैं,
आँख रूलाने के काम
आती हैं।
आँख तारने के काम आती हैं,
आँख मारने के काम आती
हैं।
आँख
चमकने के काम आती हैं,
आँख चमकाने के काम
आती हैं।
आँख
नाचने के काम आती हैं,
आँख नचाने के काम आती
हैं।
आँख
पीछे दौड़ने के काम आती हैं,
आँख पीछे दौड़ाने के
काम आती हैं।
बात
बात पर आँख क्यों फेरता है 'पुष्पेय',
खुली आँख ही तो सच
दिखाती है।
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