नई राह
वह रिटायर हो चुका था......चार साल पहले.बड़ी-सी कोठी थी उसकी........ जिसमें एक शानदार बगिया आबाद थी. मगर इस आलिशान जगह में यदि उसका कोई साथ
निभा रहा था तो वह थी उसकी तनहाई......
खामोश
तनहाई. बीवी को गुजरे तो तीस
साल हो चुके थे.........जब उसका रघू मात्र
तीन साल का था. उसकी परवरिश में वह
कब बाप से मॉं बन गया खुद उसे पता न चला.दफ्तर
में वह अपनी कर्मठता और ईमानदारी के लिए जाना जाता था.रघू की पढाई और बचपन संभालते-संभालते कब वह पचपन पहुंच गया खुद भी न
जान सका. लेकिन जब तक पता चलता
तब तक एक दस्तक हो चुकी थी ... मधुमेह और हृदय रोग
की दस्तक.रघू की नौकरी लगते ही
अपनी तबीयत पर ध्यान देने की उसकी दीर्घगामी योजना थी.वैसे भी उसे रिटायरमेंट के बाद पेंशन
नहीं मिलती थी और PF का बहुतांश पैसा
बच्चे की पढ़ाई और घर बनाने में खर्च हो चुका था.तबीयत की योजना कार्यान्वित हो इसके
पहले ही रघू इंजिनीयर बनकर अमेरिका में बस चुका था......अपनी अमेरिकन मेम के साथ..... हमेशा के लिए.
एकाएक उसका जीवन पुन: खाली हो चुका था.कुछ ही चीजें अपना कहने के लिए बची थी........
रिटायरमेंट,तनहांई और अपना पांव पसार कर हाजरी देती
हुई मधुमेह और हृदयरोग नामक दो बीमारियां.
26/11 के ब्लास्ट के बाद
मुंबई काफी बदल चुकी थी.आतंकी कसाब का इलाज
मशहूर अस्पताल 'नानावती' में सरकारी खर्चें पर चल रहा था...... जबकि फांसी की सज़ा
उसे मुकर्रर हो चुकी थी.इधर घटना के बीस साल
बाद जब तक बाबरी मस्जिद मामले में कोर्ट का फैसला आ चुका था तब तक अधिकांश
आरोपियों की कुदरती मौत हो चुकी थी.अवैध हथियार रखने के
आरोप में संजय दत्त को साढ़े तीन साल की सज़ा का ऐलान हो चुका था .......... वह भी घटना के बीस
साल बाद.
कल
रातभर उसे नींद नहीं आई थी.......
कुछ
खयालों में उसकी रात बीत गई.मगर सुबह उसे काफी
सुहावनी लग रही थी...... उसकी आंखे भी चमक रही
थी.शायद उसकी नई जिंदगी
का आगाज़ होनेवाला था....... या उसे नई राह मिल गई
थी शायद.
अगली
सुबह उसने अपनी कोठी अनाथाश्रम को दान कर दी.और निकल पड़ा वह एक पुख्ता योजना के साथ......बम से उड़ाने की योजना.... बोरिवली स्टेशन उड़ाने की योजना. और साथ में एक और योजना पर वह काम कर
रहा था.........सुरक्षीत पकड़े जाने
की योजना ताकि उसका भी इलाज 'नानावती अस्पताल' में हो सके जो यकिनन
उसके हैसियत से बाहर था.उसको यकीन था कि जेल
में अन्य क़ैदियों का साथ उसकी तनहांई का भी इलाज करेगा. और वैसे भी वह बीस साल और जी पाएगा यह
उसें उम्मीद नहीं थी.....
पुष्पेय 'ओमप्रकाश गोंदुड़े'
( चित्र गूगल से .....साभार )
-------------*----------------*---------------*-----------------------*-----------------
hahaha.... great sir, maja aa gaya
ReplyDelete