'बुध्द' का तू सत्व हैं,
'रुद्र' का तू तत्व हैं,
'जीवन' तू महत्व हैं,
मत
भटक,मत
भटक.
'शिवाजी' का तू अंश हैं,
'प्रताप' का तू वंश हैं,
'नाग' का तू दंश हैं
कर
प्रकट,कर
प्रकट.
महक
जा, तू
गुलाब हैं,
मुश्किलों
का तू जवाब हैं,
बढ
चल, तू
सैलाब हैं,
मत
अटक,मत
अटक.
भगत
का तू रक्त हैं,
गांधी
का तू चरित्र हैं,
तू स्वंय
मित्र हैं,
बढ
निकट,बढ
निकट.
....पुष्पेय...(24.08.12)
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