वातावरण
राम
रहीम की औलाद हो तुम,
आ जाओ प्रकृति की शरण
।
शुध्द
ना होगा वातावरण,
तो होगा मानवता का
मरण ॥
बना
लो चाहे अट्टालिकाएं,
या चाहे कर लो
लक्ष्मी का वरण।
प्यार
बांटों,पैसा बांटों,
या चाहे बनो दानवीर
करण ।
अहं
हटाओ,लोभ मिटाओ,
या करो काम-क्रोध का हरण।
शुध्द
ना होगा वातावरण,
तो होगा मानवता का
मरण ॥1॥
दुध
पिलाओ,मेवा खिलाओ,
या करो बोर्नविटा से पोषण-भरण ।
'जिम' भेजो, अखाड़ा भेजो,
या भेजो किसी पहेलवान की शरण ।
मंदिर
जाओ,मस्जिद जाओ,
या थामो किसी गुरू के
चरण ।
शुध्द
ना होगा वातावरण,
तो होगा मानवता का
मरण ॥2॥
लाघूं
समुंदर,छू लू आसमां,
या और कुछ हो जीने का कारण ।
तय
करता एक सांस का फासला,
जीवन है या मरण ।
सब
तो फिर 'एक शून्य' है,
जब दूषित हो पर्यावरण
।
शुध्द ना होगा वातावरण,
तो होगा मानवता का
मरण ॥3॥
'पुष्पेय'ओमप्रकाश
गोंदुड़े
05.06.2013
(विश्व पर्यावरण दिवस)
(चित्र साभार गूगल से)
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